सागर से उठकर जो लहरें साहिल को आ छू जाती हैं, धीरे से उमंगे भी उठकर मेरे दिल के तार ब सागर से उठकर जो लहरें साहिल को आ छू जाती हैं, धीरे से उमंगे भी उठकर मेरे दिल ...
सांसे चल रही हैं तुमसे जुदा होकर भी कहीं न कहीं तुम आज भी बाक़ी हो मुझमें, तभी तो दर सांसे चल रही हैं तुमसे जुदा होकर भी कहीं न कहीं तुम आज भी बाक़ी हो मुझमें, ...
अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ
बोल नहीं पाता है वह खेल नहीं पाता है वह बोल नहीं पाता है वह खेल नहीं पाता है वह
ये बेईमान बस हमको रात-दिन देश मे रहकर यूँही लूटता रहा ये बेईमान बस हमको रात-दिन देश मे रहकर यूँही लूटता रहा
अंदर अंदर रोता रहता बाहर मगर हँसाता जोकर अंदर अंदर रोता रहता बाहर मगर हँसाता जोकर